Wednesday, August 26, 2020

NIYAM NAA TODO ( JALAD AA )

             नियम ना तोड़ो

 

मानवता है प्रेयसी हमारी ,हम दीवाने हैं इसके ,

हमने और कुछ नहीं चाहा ,इसके प्यार में पड़के ,

सभी देश ,सभी भाषा ,सभी विचार ,सभी लोग ,

हमारे लिए हैं पूजनीय ,काबिल हैं प्यार के | 

 

प्रकृति के अपमान ने ,आज संकट को आमंत्रण दिया ,

तभी तो प्रकृति बिगड़ गई ,क्रोध उसको आ गया ,

क्यों मानव तूने ऐसा ,काम ही कुछ क्यों किया ? 

जिसके कारण प्रकृति को ,क्रोध इतना आ गया | 

 

बदरा ने क्रोध में ,इतना पानी बरसा दिया ,

नदियों के अंदर मानो ,गहरा तूफ़ान आ गया ,

बाँध भी अब टूट गए ,पानी भी अब बढ़ चला ,

मानव ने डरकर कहा ,देखो बाढ़ आ गई | 

 

बाढ़ में डूबा है मानव ,अस्त ,व्यस्त ,त्रस्त है ,

मगर ऐसे में भी मानव ,अपने में ही मस्त है ,

प्रकृति को दोष देता है वो ,अपना दोष नहीं देखे ,

प्रकृति तो आज भी ,होती उससे ध्वस्त है | 

 

आज फैली महामारी से ,आज मानव त्रस्त है ,

दूसरों को दोष देता ,अपने दोष नहीं गिनवाता , 

नियम बनाए जो प्रकृति ने ,उनका पालन नहीं किया ,

नियमों की बाड़ में रहता तो ,आज ये हालत ना होती ,

मानवता के लिए हमारी ,आँखें आज नहीं रोतीं ,

इस इश्क के लिए हमारी ,आँखें आज नहीं रोतीं | 


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