एक कदम
अहसास के लम्हों में ,
प्यार के उन पलों में ,
पास थे हम और तुम ,
पर जैसे पास नहीं थे |
बाँहों ने तेरी मेरे ,
जिस्म को था लपेटा ,
जैसे की बादलों ने ,
चंदा को है समेटा |
पर फिर भी दूरियाँ थीं ,
धरा और गगन की ,
तेरे आगोश में भी ,
बुझी ना प्यास मेरे मन की |
तेरा था दिल बेचैन ,
दिल मेरा भी बेक़रार ,
थे मगर चुप ही दोनों ,
ना थी कोई तकरार |
चंदा निकला बादलों से ,
फैलाई सब ओर चाँदनी ,
नहाए उसी चाँदनी में ,
हम -तुम ,हाँ ,हम -तुम |
चाहा पकड़ लें दामन ,
एक कदम और बढ़ा के ,
पर सिमट गए हम खुद ही ,
तुझसे नजर मिला के |
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