Saturday, July 10, 2021

KYAA KAHOON ? ( JIVAN )

 

             क्या कहूँ  ? 

 

कुछ कहने की आरजू में ,

    चुप रहने की जुस्तजू में ,

        बीत जाएँगे यूँ ही दिन ,

            तुमको पाने के ही ख्यालों में | 

 

जो कुछ भी मैं कह बैठी ,

   तुमको कुछ ज्यादा ही खो बैठी ,

       तुमने क्या बेवफा खा मुझको ? 

            मैं खुद से ही बेवफा हो बैठी | 

 

वो सारी बातें जो बीत गईं ,

   करेंगी सारी उम्र भर पीछा ,

       चाहे कितना उन्हें भुलाऊँ मैं ?

            पर फिर भी ना भूल पाऊँगी | 

 

दिल जो खुशियों में डूबा रहता था ,

    अब वो ख़ुशी को भूल गया ,

         किस तरह वो हँसेगा फिर से ? 

             उसका साथी उसे जो भूल गया | 

 

नहीं हैं शब्द मेरे पास ,

   जो आगे कुछ लिखूँ मैं ,

       मेरे प्रीतम तुम्हीं बोलो ,

           तुम्हें अब क्या और कहूँ मैं ? 

 

     

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