Friday, July 16, 2021

ALBELE NEED ( JIVAN )

 

 

             अलबेले  नीड़ 

 

उड़ चले हैं पंछी नील गगन में ,

प्यार के गीत गुनगुनाते हुए ,

गगन ने उनको भरा अपनी बाँहों में ,

प्यार से मुस्कुराते हुए | 

 

अपना नीड़ बसाएँगे वो पंछी ,

किसी प्यारी सी अनजानी जगह में ,

जहाँ हों नवांकुरों की खुश्बुएँ ,

गीत सुनाई दें नदियों की कल -कल में | 

 

आज के नवांकुर देंगे कल ,

फूलों की सुंदर बगिया ,

तभी तो पंछियों का कलरव भी ,

मिलाएँगे सुर ,गुनगुनाएगी नदिया | 

 

गगन और धरा दोनों ही ,

देखेंगे उस नीड़ को ,

खुश हो जाएँगे पंछियों के ,

देख कर उस अलबेले नीड़ को | 

 

हम भी ढूँढें एक ऐसी ,अनजानी जगह ,

जो डूबी हो फूलों की ख़ुश्बुओं में ,

जो किनारे हो किसी कल -कल करती नदिया के ,

जो भर दे गुनगुनाहट हमारे दिलों में | 

 

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