टिमटिम तारे
प्रेम हुआ जब हमको ,राहें लंबी हो गईं ,
ऊँचाइयाँ गगन की ,पहुँच से ऊँची हो गईं |
छूना गगन को ,असंभव सा हो गया ,
ये लगा अपनी तो ,लंबाई ही कम हो गई ,
सोचा कि सीढ़ी ,लगाकर चढ़ जाएँ ,
मगर अपनी तो ,सीढ़ी ही गायब हो गई |
फूलों की खुश्बुएँ ,फैलीं चमन में ,
चहुँ ओर खुश्बुएँ ,उड़ गईं ,
खुश्बुओं के ,साथ - साथ ही ,
तितलियाँ भी ,उड़ गईं |
गगना के तारे ,जैसे नयनों में समाएँ ,
रात की नींद में ,सपने दिखाएँ ,
सपनों में तो ,अनगिनत तारे ,
टिम -टिम करते ,हुए टिमटिमाएँ |
सपनों में ही ,तारे साथी बन ,
दूर - दूर की ,सैर कराएँ ,
जहाँ कहीं हम ,कभी नहीं गए ,
उन जगहों की भी ,हमें सैर कराएँ |
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