तरसाने
मत गा फागुन गीत सुहाने ,
तू क्या जाने बेदर्दी ?
प्रीतम हैं मुझसे अनजाने |
तुझमें डूबी दुनिया सारी ,
पर भीगी ना मेरी साड़ी ,
रंग लगाया ना मुझको ,
थोड़ा भी मेरे सजना ने
तुझको देखा था बरसों से ,
तुझमें डूबी थी बरसों से ,
जालिम फिर अबकी बार ही ,
आया क्यों मुझको तरसाने ?
ऐसे जब आगे आएगा ,
फिर और मुझे तड़पाएगा ,
कसम है फागुन तुझको मेरी ,
आना ना मुझको तड़पाने |
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