आत्मसात
गुरु से ज्ञान जो चाहिए ,खुद ही गुरुकुल में जाय ,
भाव - भक्ति से उनके ,चरणं में शीश नवाय ||
एक - एक शब्द पे उनके ,जो तू ध्यान लगाय ,
तभी तो बंधु तुमको ,ज्ञान मिलेगा आय ||
जो कुछ ज्ञान मिले ,आत्मसात करो ,
साथ में तुम गुरु का ,शुक्रिया तुम करो ||
आत्मसात उस ज्ञान को , जीवन में तुम उतारो ,
और उससे अपना ,जीवन तुम सँवारो ||
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