जानी - पहचानी
जग में हैं अनगिनत सी राहें ,
सब ही हैं अनजानी सी राहें ,
कैसे कोई चले उन पर ? राहों का रास्ता कौन बताए ?
आशीषों के दीये जलाओ ,
सबको ही तुम राह दिखाओ ,
राहें सबकी होंगी पार , सब ही जाएँगे उस पार ||
प्यारा साथी साथ में हो तो ,
आसान सी राहें हो जाएँगी ,
साथी ढूँढ लो पहले दोस्त ,तभी तो राहें जगमगाएँगी ||
फिर तो राहें हो जाएँगी ,जानी - पहचानी सी ,
जीवन सुगम हो जाएगा , राहें भी सुंदर हो जाएँगी ||
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