Saturday, April 20, 2024

KARO SHUKRIYAA ( KSHANIKAA )

 

                            करो शुक्रिया 

 

मुट्ठी बाँधे आए जग में ,हाथ पसारे जाएँगे ,

मुट्ठी में थी भाग्य की रेखा ,जो लिखा था ईश्वर ने ,

कर्म किए जो जग में हमने ,उनसे बदला भाग्य हमने ,

अच्छा था या बुरा ,ये कर्मों का फल था बंधु  || 


ईश्वर ने जो दिया था हमको ,सुंदर ही दिया होगा ,

हमने जो कर्म किए जग में ,उसका लेखा - जोखा परखो ,

अच्छे कर्म करेंगे तो ,अच्छा ही उसका फल होगा ,

जो दिल दुखाया किसी का हमने तो , हमारा भी दुखेगा बंधु  ||


क्यों मेरा - तेरा करें हम ? सब कुछ तो ईश्वर का ही है ,

जो दिया है उसने हमने लिया ,शुक्रिया उस ईश्वर को ही है ,

कर्मों का फल भी देता वही ,भाग्य लेख भी लिखता है ,

करो शुक्रिया ,करो शुक्रिया ,करो शुक्रिया तुम बंधु  || 


No comments:

Post a Comment