करो शुक्रिया
मुट्ठी बाँधे आए जग में ,हाथ पसारे जाएँगे ,
मुट्ठी में थी भाग्य की रेखा ,जो लिखा था ईश्वर ने ,
कर्म किए जो जग में हमने ,उनसे बदला भाग्य हमने ,
अच्छा था या बुरा ,ये कर्मों का फल था बंधु ||
ईश्वर ने जो दिया था हमको ,सुंदर ही दिया होगा ,
हमने जो कर्म किए जग में ,उसका लेखा - जोखा परखो ,
अच्छे कर्म करेंगे तो ,अच्छा ही उसका फल होगा ,
जो दिल दुखाया किसी का हमने तो , हमारा भी दुखेगा बंधु ||
क्यों मेरा - तेरा करें हम ? सब कुछ तो ईश्वर का ही है ,
जो दिया है उसने हमने लिया ,शुक्रिया उस ईश्वर को ही है ,
कर्मों का फल भी देता वही ,भाग्य लेख भी लिखता है ,
करो शुक्रिया ,करो शुक्रिया ,करो शुक्रिया तुम बंधु ||
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