मीत मन का
वाणी ऐसी बोलिए ,मीठी - मीठी और रसीली ,
दूजों का मन खुश करे ,ना हो तीखी - तीखी ||
प्रेम के शब्द जो बोले तो ,प्रेम - प्यार फैलाय ,
सारा जग ही दोस्त मेरे ,प्रेम में डूबा जाय ||
प्रेम - प्यार फैलाओगे ,तुम भी प्रेम ही पाओगे ,
प्रेम - प्यार से ही तुम ,अपना जीवन भर जाओगे ||
कलम हमारी लिखती ,प्रेम - प्यार के गीत ,
जिनको पढ़कर हमें मिले ,अपने मन का मीत ||
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