तभी तो
हे जीभ तुम ,स्वाद को छोड़ दो ,
तभी तो ,मेरा स्वास्थ्य उत्तम होगा ,
हे जीभ तुम ,मीठे शब्दों को चुन लो ,
तभी तो ,मेरे रिश्ते स्वस्थ होंगे ||
ऐ मेरे दिल , दोस्तों पर भरोसा करो ,
तभी तो ,दोस्तों की संख्या बढ़ेगी ,
ऐ मेरे दिल ,रिश्तों पर विश्वास करो ,
तभी तो , रिश्ते मजबूत बनेंगे ||
ऐ दिमाग ,मुस्कानों की संख्या को गुणा करो ,
तभी तो , खुशियों की संख्या बढ़ेगी ,
ऐ दिमाग ,उदासियों को भूल जाओ ,
तभी तो , ग़मों संख्या कम होगी ||
ऐ मेरे हाथ ,अपनों के लिए अच्छा कर्म करो ,
तभी तो , अपनों को ख़ुशी मिलेगी ,
ऐ मेरे हाथ ,मदद करने में सबसे आगे रहो ,
तभी तो ,मदद वालों की ,शुभेच्छा आपको मिलेगी ||
ऐ मेरे पैरों , चलते रहो ,जहाँ तुम्हारी जरूरत हो ,
तभी तो , दूसरों की जरूरतें पूरी होंगी ,
ऐ मेरे पैरों ,चलते जाओ ,चलते जाओ ,ले के प्रभु का नाम ,
तभी तो , चलते -चलते ,पहुँचोगे ,प्रभु के धाम ||
No comments:
Post a Comment