जी चाहता है
जी चाहता है मेरा ,सावन की बदरी बन जाऊँ ,
ऊपर नीले आसमान में ,जाकर पवन संग खेल दिखाऊँ ,
रिमझिम -- रिमझिम जल बरसाऊँ ||
सब को मुस्कानें बाँट दोस्तों ,मैं भी खूब - खूब मुस्काऊँ ,
संग दामिनी के खेलूँ , सभी के दिल जब ,
दामिनी की कड़क से डर के ,
छिप जाएँ तो मैं उनको धड़काऊँ ||
बरखा रुके जब रवि झाँके ,तब आसमान में रंग -बिरंगा ,
इंद्रधनुष बन मैं छा जाऊँ ,इंद्रधनुष बन मैं छा जाऊँ ,
बड़ों और बच्चों ,सभी को मैं खुश कर जाऊँ ,
बस यही मेरा जी चाहता है ,जी चाहता है ||
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