रुनझुन तारों की
रात के सफर में ,तारों की रुनझुन गूँजी ,
जिंदगी की राहों में ,पायल की छन - छन गूँजी ,
होठों की मुस्कुराहटों में ,कंगना की खन - खन गूँजी ||
सफर बना है सुंदर और मीठा ,
कदम चलते रहे हौले - हौले ,
ऐसी पगडंडियों में ही तो ,झूमर की झंकारें गूँजी ||
तारों की झिलमिलाहट से , सजी है मेरी चुनरी ,
कल्पनाओं के झरोखों से ,झाँक गई है मानो चाँदनी ,
ऐसे ही तो दिल में ,बीना की तान गूँजे ||
इस रात के सफर में ,छिप गई हूँ मैं,
चंदा भी छिप गया है साथ मेरे ,
तारे ही झिलमिल करते हैं बस गगन में ,
उन्हीं की तो नन्हीं - नन्हीं मुस्कानें ही तो ,
सारे जग में गूँजें ,सारे जग में गूँजें ||
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