Wednesday, April 3, 2024

RUNJHUN TAARON KII ( CHANDRAMA )

 

                   रुनझुन तारों की 


रात के सफर में ,तारों की रुनझुन गूँजी ,

जिंदगी की राहों में ,पायल की छन - छन गूँजी ,

होठों की मुस्कुराहटों में ,कंगना की खन - खन गूँजी || 


सफर बना है सुंदर और मीठा ,

कदम चलते रहे हौले - हौले ,

ऐसी पगडंडियों में ही तो ,झूमर की झंकारें गूँजी || 


तारों की झिलमिलाहट से , सजी  है मेरी चुनरी ,

कल्पनाओं के झरोखों से ,झाँक गई है मानो चाँदनी ,

ऐसे ही तो दिल में ,बीना की तान गूँजे || 


इस रात के सफर में ,छिप गई हूँ मैं,

चंदा भी छिप गया है साथ मेरे ,

तारे ही झिलमिल करते हैं बस गगन में ,

उन्हीं की तो नन्हीं - नन्हीं मुस्कानें ही तो ,

सारे जग में गूँजें  ,सारे जग में गूँजें  ||  


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