Tuesday, April 2, 2024

JANM DATA SAAGAR ( RATNAAKAR )

 

 

                 जन्म दाता  सागर 


सागर में जब उपजा जीवन ,तभी तो हम सब आए यहाँ ,

ये सागर है ,जन्म दाता हमारा ,इसने ही तो सब कुछ हमें दिया || 


सागर के ही गर्भ में छिपे ,अनमोल खजाने ,बहुमूल्य रत्न ,

मगर हमने उसे कुछ नहीं दिया ,हमने उसे कुछ नहीं दिया || 


हमने सब कुछ मैला कर दिया ,सागर की स्वर्णिम छवि  को ,

हमने प्रदूषित किया उसे ,उसकी छवि को धूमिल किया || 


आखिर थक कर सागर ने भी ,बदला लेना शुरू किया ,

आया तूफानों को लेकर ,लहरों को भी रौद्र रूप किया || 


हरहराता सागर उछला और ,अनगिनत प्राणों को लील गया ,

तब मानव चिल्लाया - जानलेवा समुद्र ,क्या सच में सागर जानलेवा है ? 


उसी ने तो जन्म दिया हमको ,हमने उसका रूप बिगाड़ा ,

आज अगर वह क्रोधित है ,तो यह सब हमारा ही कर्म है ,

वह तो बदला लेगा ही ,वह तो बदला लेगा ही || 


No comments:

Post a Comment