बैंच स्कूल \कॉलेज की
बैंच स्कूल की या कॉलेज की,अपना अलग महत्त्व रखती थीं ,
अगली बैंच थी अपनी दोस्तों ,हर समय ,हर रोज अपनी थी ||
आगे बैठने पर टीचर्स जो पढ़ाते ,सभी कुछ समझ में आता ,
यदि कभी बैठी दूसरी बैंच पर ,नहीं समझ कुछ आता ,खाली सब रह जाता ||
समय बीतता गया ,कक्षा -दस पास हुई ,ग्यारहवीं में कॉलेज शुरू हुआ ,
प्रार्थना - पंक्ति में अंत में खड़े हुए ,क्योंकि हम लंबे थे दोस्तों ,
कक्षा में भी उसी क्रम में ,बैठना पड़ा -मतलब पिछली पंक्ति में ||
आधे पीरियड में ,जब कुछ समझ नहीं आया ,
तो हमने टीचर से फर्माया ,आगे बैठने के लिए ,
मगर बाकि लड़कियों को ऐतराज था ,
खैर वह पीरियड हमने ,जैसे - तैसे बिताया ||
अगला पीरियड फ्री था ,हमने अपना दिमाग लड़ाया ,
पीछे से एक कुर्सी और ,एक डेस्क उठाकर ,
आगे साईड में लगाया ,और बैठक जमाई ||
अगले पीरियड में लड़कियों ने शिकायत लगाई ,
हमने अपना पक्ष रखा ,तो टीचर बोली ,
यह किसी भी लड़की के आगे नहीं है ,
किसी परेशानी नहीं होगी ,आज से यह यहीं बैठकर पढ़ेगी ,
दो सखियों ने भी हमारे साथ डेरा जमाया ,
और हम तीनों दो साल तक वहीं बैठे ||