Tuesday, February 25, 2025

MUKTII ( AADHYAATMIK )

 

                                 मुक्ति 


प्रेम साधना कर लो बंधु ,जग के पालनहार से ,

ये साधना की जो तुमने , तो भक्ति है ,

यदि समझे साधना को , तो शक्ति है , 

और यदि पा गए उसे , तो मुक्ति है  || 


भक्ति ही तो तुम्हारी शक्ति है ,

इसी शक्ति से ही  तो , तुम बलशाली बनोगे ,

मुक्ति पा कर ही तो  तुम ,

कर लोगे इस भवसागर  को पार दोस्तों  || 


जिंदगी के इस रूप को , अपना लो ,

जीवन सुंदर और सबल , बना लो , 

तभी तो तुम उस , रचनाकार की ,

छत्र छाया में रहकर उसका , प्यार पा लो  || 

 

Monday, February 24, 2025

LAKEEREN ( JIVAN )

      

                                लकीरें 


लकीरों की कहानी भी , अलग है दोस्तों ,

मस्तक की लकीरें , आपकी चिंता बयान करती हैं  ,

 उन्हें देख कर ,कोई भी जान जाएगा ,

आप चिंतित हैं दोस्तों  || 

 

हाथों की लकीरें ,आपका भाग्य बयान करती हैं ,

 उन्हें पढ़ने की  ,शक्ति रखने वाला ,

आपके भाग्य का ,वर्णन कर देगा दोस्तों  || 

 

रिश्तों में खिंची लकीरें ,रिश्तों की दरारें बयान करती हैं ,

हर कोई उन्हें देख कर जान जाएगा ,

रिश्ते टूटने के कगार पर हैं दोस्तों  || 

 

धरती पर खिंची लकीरें , बाँट देती हैं धरा को ,

घरों को  , राज्यों को , देशों को  ,

हर कोई उन्हें देख कर ,

सरहदों को पहचान जाएगा दोस्तों  || 

 

Sunday, February 23, 2025

JHOOLE MELE KE ( KSHANIKAA )

 

                                झूले मेले के 


मेले में ऊँचे झूले में , कभी बैठे हो दोस्तों  ?

वह झूला नीचे आता है , फिर  ऊपर जाता  है ,

ऐसे ही झूला घूमता जाता है दोस्तों  || 

 

जब ऊपर जाता है , दूर तक मेला दिखता है ,

नीचे आते हुए ,हवा का तेज झोंका मिलता है ,

ऐसे ही झूला घूमता जाता है दोस्तों  || 

 

नीचे आते हुए ,ऊपर जाते हुए ,

दिल की धड़कनें ,बदलती जाती हैं ,

कभी तेज होती हैं ,कभी धीमे होती हैं  ,

ऐसे ही धड़कनों की ,गति बदलती जाती है दोस्तों  || 

 

जिंदगी के रास्तों में भी , झूले के समान ,

उतार - चढ़ाव आते हैं दोस्तों  ,

ये उतार - चढ़ाव ही ,जीवन में बदलाव लाते  हैं  ,

उन्हीं उतार - चढ़ाव से ,जीवन में ,

सभी भाव भी बदलते हैं दोस्तों  || 

 

उन्हीं भावों से जीवन में ,चमकने वाले ,

सभी इंद्रधनुष ,जीवन में रंग और ,

खुशियों भर जाते हैं ,साथ ही ,

होठों पर मुस्कानें ,खिला जाते हैं दोस्तों  || 

 

 

 

 

Saturday, February 22, 2025

SAMASYAA ( KSHANIKAA )

 

                          समस्या 


समस्या कोई भी आए ,डरो मत ,

हौसलों को प्रयासों में ,बदल दो ,

समस्या को उन पर ,ना होने देना हावी || 

 

समस्या कोई भी हो , हो जाएगी उड़न छू ,

प्रयास भी खुश हो , जाएगा  तुम्हारा ,

हौसले तो दोस्तों ,खिलखिलाएँगे || 

 

जिनके पास हौसला ,नहीं है ,

वही पस्त हो जाते हैं ,दोस्तों ,

इसलिए हौसलों को , बुलंद रखो दोस्तों || 

 

जिन्हें प्रयास करने में ,आलस है ,

उनकी समस्याएँ तो बढ़ती ही ,जाती हैं ,

तो समस्याएँ  एक सागर का , रूप ले लेती हैं  ,

 और उन आलसियों को अपने में , डुबा लेती हैं  || 


Friday, February 21, 2025

GUNGUNAATE RAHO ( KSHANIKAA )

 

                          गुनगुनाते रहो 


जिंदगी के हर पल को ,बना लो दिल की धड़कन ,

जिससे हर पल तुम ,जिंदगी जीते रहो ,

जिंदगी की राह को ,पार कर के  पहुँचो ,

अपनी मंजिल पर ,जिस से  सफलता पाते रहो  || 


तभी तो धड़कनें तुम्हारी ,खुश रहेंगी ,

तभी तो धड़कनें तुम्हारी ,गुनगुनाती रहेंगी ,

उन्हीं के साथ , तुम भी तो , 

मुस्कुराते रहो , गुनगुनाते रहो  || 


कीमत जानो तुम , मुस्कानों की ,

कीमत जानो तुम , गुनगुनाने की ,

तभी तो तुम जीवन में , खुश रह पाओगे ,

तभी तो तुम जीवन में , खिलखिलाओगे ,

तो बंधु मुस्कुराओ , खिलखिलाओ ,

और गीत , संगीत गाते  रहो , गुनगुनाते रहो  || 

Thursday, February 20, 2025

BATIYAA LO ( KSHANIKAA )

 

                               बतिया लो 


वक्त ने आज मुझसे मुलाकात की दोस्तों ,

कहा आज दो घड़ी बतिया लो मुझसे ,

मैं चला जाऊँगा तो फिर नहीं आऊँगा दोस्तों  ||  


मैं कहीं भी रुक नहीं सकता हूँ दोस्तों ,

पता नहीं ,फिर जब मिलूँगा तो क्या हो  ?

पता नहीं ,उस समय मैं तुम्हें हँसाऊँगा या रुलाऊँगा  ?

इसीलिए आज ही तुम बतिया लो दोस्तों  || 

 

आज तो हम दोनों के ,होठों पर मुस्कानें हैं ,

मीठे गीत हैं ,मीठे बोलों के तराने हैं ,

तो आज ही तुम मुझसे ,बतिया लो दोस्तों  || 

 

सभी की सोच बदलती जाती है ,

सभी की जिंदगी ,प्यार में डूबती चली जाती है ,

तो आज ही तुम मुझसे बतिया लो दोस्तों  || 

 

इन्हीं मुस्कानों को ,होठों पे सजाए रखो ,

दिल में प्यार को ,बसाए रखो दोस्तों ,

ये कहते हुए वक्त ने , फिर से बोला ,

तो आज  ही तुम मुझसे ,बतिया लो दोस्तों  || 


Wednesday, February 19, 2025

UJIYAALE PATH ( KSHANIKAA )

 

                          उजियाले पथ 


दुनिया में कोई नहीं ,सर्वगुण संपन्न ,

कुछ - कुछ कमी ,सभी में होती  दोस्तों ,

अपनी कमी को दूर  करने की कोशिश करो ,

और दूजों की कमियों को ,स्वीकार करो दोस्तों  || 

 

मदद के लिए ,हाथ बढ़ाओ जरूर ,

मगर उम्मीदों को ,सीढ़ी मत बनाओ दोस्तों ,

जरूरत पड़ने पर ,ईश्वर को याद करो ,

कोई गर हाथ बढ़ाए तो ,प्यार से थामों दोस्तों  || 

 

अपनी मुस्कानों को बनाए रखो ,

कभी भी उन्हें गायब मत होने दो दोस्तों ,

ये मुस्कानें ही तुम्हें मंजिलों की राहों  ,

के उजियाले और आसान ,पथ दिखलाएँगी दोस्तों ,

 

जो कुछ तुम्हें मिला है जीवन में ,

भर लो उस सब को , झोली में दोस्तों ,

सोचो जो कुछ तुम्हें मिला है ,

वही तो सबसे सुंदर है दोस्तों  || 

 

Tuesday, February 18, 2025

SAANCH ( KSHANIKAA )

 

                                  साँच 


जिंदगी में हर पल डूबा है ,प्यार में ,

कभी विश्वास में ,कभी अविश्वास में ,

मगर हर पल सुकून की श्वांस में  || 

 

कभी कोई समस्या आए तो ,

हाथ किसी अपने का है अपने हाथ में ,

दो मीठे बोल ,गूँज रहे अपने कान में  || 

 

मत सोचो दोस्त ,किसी गुजरे पलों को ,

मत सोचो दोस्त ,किसी के कड़वे बोलों को ,

सिर्फ यही पल तो ,जीवन में साँच है  || 

 

बीते पल के माया जाल से निकल ,

आने वाले पल के , भ्रम में ना फँस ,

 सिर्फ यही पल तो ,जीवन में साँच है  || 


आज हम मुस्काएँगे ,तो जग भी मुस्काएगा ,

जग के मुस्काने से , वक्त भी मुस्काएगा ,

तभी तो जीवन होगा पूर्ण , हमारी मुस्कान में  || 

 

Monday, February 17, 2025

BAAT ( KSHANIKAA )

 

                             बात 


बात ,बात की चली है यारों ,

बात ध्यान से सुनना तुम ,

बातों में से बात है निकली ,

इसको ध्यान से गुनना तुम   || 

 

बात से जब निकलती है बात ,

तो दूर तक चली जाती है बात ,

तो ऐसे निकलती बात को ,

देकर ध्यान समझना तुम  || 

 

बातों का सिलसिला जब चलता है ,

तो दिल तक बात पहुँचती है ,

तुम भी तो मेरी बातों को ,

अपने दिल तक पहुँचाना तुम  || 

 

अपने दिल के बाहर ही यारों ,

रोकना नहीं इन बातों  को तुम ,

खोलना अपने दिल के दरवाजों को ,

मेरी सारी बातें अपने दिल में पहुँचाना तुम ,

 समझ गए ना यारों  || 

 

Sunday, February 16, 2025

VIKALP ( KSHANIKAA )

 

                             विकल्प 


जीवन में हमेशा ,सूरज जैसा बनो दोस्तों ,

उगने में अभिमान नहीं ,अस्त होने में उदासी नहीं || 

 

दूसरों को देने में ,कोई कोताही नहीं ,

किसी से बदले में ,कोई भी माँग नहीं ,

हर किसी को देना ,मदद करना ,

यही तो जीवन को ,सुंदर बनाता  है || 


हर किरण के द्वारा ,समान उजाला फैलाना ,

दिन के दर्शन ,सभी को कराना ,

यही तो सभी के दिलों में ,

आशाएँ और उम्मीदें जगाना है || 

 

तो बंधु चुन लो कि ,

तुम्हें कैसा जीवन पसंद है ?

चाँद जैसा या सूरज जैसा ?

दोनों विकल्प ही तुम्हारे हाथ हैं || 

 

Saturday, February 15, 2025

ANUBHAV KII NEENV ( KSHANIKAA )

 

                             अनुभव की नींव 


इस जग में रिश्ते बनाते हैं सभी लोग ,

उन रिश्तों को निभाने के लिए ,

ना कोई नियम है ,ना ही कोई नियम ,

सिर्फ दिल की आवाज ,और मुस्कान चाहिए दोस्तों || 

 

किसी भी परेशानी में ,जो आपका साथ दे ,

उसे आप कभी ,अपने से दूर ना करें ,

परेशानी में पड़ने पर ,जो आपका साथ छोड़ दे ,

उससे आप नजदीकियाँ ,ना बढ़ाएँ दोस्तों ,

और जो आपको ,परेशानियों में लपेट दे ,

उसे तो आप ,भूल ही जाएँ दोस्तों || 

 

रिश्ते अनुभव के ,आधार   पर ही बनाए रखें ,

अनुभव की नींव पर आधारित ,रिश्ते ही असली हैं ,

उन रिश्तों को कर्म के पानी से ,

सींच कर फलने - फूलने का ,मौका दें दोस्तों || 

 

Thursday, February 13, 2025

PAATII PREM KII ( KSHANIKAA )

 

                       पाती प्रेम की 


प्रियतम देखो आई फरवरी ,फूल खिलें हैं चहुँ - ओर ,

बसंत ऋतु है छाई चहुँ - ओर ,

आया प्यार का विदेशी त्योहार ,

वैलैंटाईन डे है जिसका नाम || 

 

आओ प्रियतम हम भी मनाएँ ,रोज़ डे ,चॉकलेट डे जैसे दिन ,

चलो कहीं हम घूम के आएँ ,

कैंडेल लाईट डिनर करें हम ,

फिर प्यार के पलों को ,हम जी जाएँ || 

 

मौसम ये सुंदर सा है ,दिल में हिलोर उठने का है ,

तुम - हम फिर उनका आनंद उठाएँ ,

आओ प्रियतम हम भी मनाएँ ,

प्यार को फिर जीवंत बनाएँ ,जीवंत बनाएँ || 

 

Wednesday, February 12, 2025

HALCHAL ( KSHANIKAA )

 

                               हलचल 


जिंदगी की राह है टेढ़ी - मेढ़ी ,

तो चलते हुए सभी ,मोड़ों को अपना लो दोस्तों ,

जानो तो सही ,हर मोड़ क्या कहता है  ?? 

 

जिंदा इंसान ही ,उस राह पर ,

चलना सिखाता है ,दौड़ना सिखाता है ,

जब कि वह इंसान खुद ही ,

उस राह पर ,चलना नहीं जानता है  || 

 

ऐसे ही जिंदा इंसान होते हैं ,जो जिंदगी के बाद की ,

दुनिया के बारे में ,सब को बताते हैं ,

क्या एक जिंदा इंसान बता सकता है  ?

कि मौत के बाद क्या होता है  ?? 

 

जिंदगी में होने वाली हलचलों को ,

कोई नहीं जानता ,तो जिंदगी के बाद की ,

हलचलों को कोई क्या बताएगा   ?? 

 

Tuesday, February 11, 2025

SHIDDAT ( KSHANIKAA )

 

                                      शिद्दत 


जिंदगी उस आईने की तरह है दोस्तों ,

जो हमारा अक्स दिखाता है ,सच के साथ ,

तो पूरे सच के साथ उस आईने को ,

पूरी शिद्दत से प्यार करो दोस्तों || 

 

जिंदगी में आए अँधेरे को ,कैसे मिटाओगे ?

उसे सोचने और करने में वक्त की ,

बर्बादी ना करके ,एक दीपक जला लो ,

उसी से आसानी से ,अँधेरे दूर हो जाएँगे दोस्तों || 

 

जिंदगी में मिले दोस्तों के लिए ,दिल में जगह बनाए रखो ,

यह याद रहे वही तो तुम्हारी ,

प्यारी और सच्ची कमाई है दोस्तों || 

 

जिंदगी में कितनी भी ऊँचाई छू लो ,

मगर याद रखो ,उन मंजिलों को कायम रखना जरूरी है ,

वहाँ से यदि गिरे ,तो सब कुछ ,

खत्म हो जाएगा दोस्तों ,शिद्दत से प्यार करना जरूरी है || 

 

 

Monday, February 10, 2025

AARAMBH ( KSHANIKAA )

 

                                आरंभ   


अंत के बाद ही ,आरंभ शुरु होता है ,

पेड़ों से पीले और सूखे पत्ते गिरते हैं ,

तभी तो कोमल ,हरे पत्ते निकलते हैं || 

 

कोई भी इमारत टूटने के बाद ही ,

उसका नव -निर्माण शुरु होता है ,

और नई इमारत बन जाती है || 

 

इसी तरह दोस्तों ,व्यक्ति जब ,

परिस्थिति वश टूट कर बिखर जाता है ,

तभी अपने अंतर्मन को समेट कर ,

वह मजबूती हासिल कर के ,

एक नए इंसान का रूप ले लेता है || 

 

दोस्तों ऐसे ही तुम भी स्वयं को ,

मजबूत और शक्तिशाली बना लो ,

जीवन में आत्मशक्ति भर कर ,

जीवन में खुशहाली के फूल खिला लो || 

 

Sunday, February 9, 2025

MUUD JAAIE ( KSHANIKAA )

 

                                मुड़ जाइए 


वक्त की रफ्तार ,तुमसे तेज है दोस्तों ,

उसके साथ चलते जाइए ,

वक्त तो उड़ता है ,अपने पंखों पर ,

कोशिश आप भी करते जाइए || 

 

वक्त कभी रुकेगा नहीं दोस्तों ,

वह तो फिसलता जाएगा ही दोस्तों ,

ऐसे में आप क्या करोगे दोस्तों ?

आप भी उसके साथ फिसलते जाइए || 

 

जिंदगी भी वक्त की रफ्तार से चलती है ,

ये दुनिया भी उसी के साथ चलती है ,

कोशिशें आप भी  अपनी बढ़ाते जाइए ||  


प्यार भी पनपता है ,वक्त के साथ ही ,

वक्त की रफ्तार तो ,हर मोड़ पर मुड़ती है ,

उसके साथ ही दोस्तों ,आप भी मुड़ जाइए || 

 

NEED ( KSHANIKAA )

 

                                       नीड़

 

जग में आते ही मिलते हैं , माता - पिता ,

कुछ नाते -रिश्ते भी मिलते हैं ,बोनस में ,

दादा -दादी ,नाना -नानी भी मिलते हैं ,

बाकि सब कुछ को मिलते हैं ,कुछ को नहीं || 

 

कुछ वर्षों बाद ,दोस्तों का साथ मिलता है ,

खेलों का स्वाद तब मिलता है ,

गुरु -जन आते हैं जीवन में ,जो ज्ञान हमें देते हैं ,

कुछ ऐसे भी मिल जाते हैं , जो जग  का चलन सिखाते हैं || 


समय बीतता जाता है ,परिवार भी बढ़ जाता है ,

धीरे -धीरे फिर साथ भी ,छूटने लगता है ,

बुजुर्गों का हाथ छूटता है जब ,संसार सुना लगने लगता है तब || 

 

लेते हैं विदाई माता -पिता ,कुछ रिश्ते भी खत्म हो जाते हैं ,

धीरे - धीरे कुछ दोस्त गए ,आती  है बारी अपनी भी ,

जग तो है ऐसी रेलगाड़ी ,सवार होते  रहते सभी ,

फिर धीरे - धीरे ,एक -एक कर ,उतरते रहते सभी || 

 

तो क्या मोह ? क्या माया ? क्यों किसी से दिल लगाया ?

इस संसार में जो नीड़ था बसाया ,

एक दिन ऊपर वाले ने उसको खाली कराया || 

 

Friday, February 7, 2025

KYAA HUAA ? ( KSHANIKAA )

 

                             क्या हुआ  ?

 

राहों में चलते - चलते ,कदमों के बढ़ते - बढ़ते ,

जो कुछ हमने करना चाहा ,

दिल से वही किया ,पर पता नहीं क्यों  ??  


जो करना चाहा था ,और जो किया ,

वही नहीं हुआ ,कुछ और ही हो गया ,पता नहीं क्यों  ?? 

 

ऐसे में ही ,मिला कुछ और ही ,

और वह भी समझ में नहीं आया ,

क्या मिला था  ? पता नहीं क्यों  ?? 

 

सब कुछ समझ से परे था ,

उसका एक सिरा भी ,पकड़ में आ जाता ,

तो शायद सब कुछ सुलझ जाता ,

मगर कौन बता सकता है  ?

कि ऐसा क्यों हुआ  ?  हमें तो पता ही नहीं क्यों  ?? 

 

Thursday, February 6, 2025

SANVAAR LEY ( KSHANIKAA )

 

                           संवार ले 


देह बनी है माटी की ,साँसें मिलीं उधार की ,

किस बात का तू ,मानव करे घमंड ?

ये सारी रचना की ,उसने प्यार की ,

तो मानव तू प्यार कर ले ,जीवन संवार ले || 


जो कुछ जीवन में ,तुझे मिला ,

उसको सिर झुका कर ,तू स्वीकार कर ,

ईश्वर की उस देन को ,व्यर्थ ना गँवा तू ,

तो मानव तू प्यार कर ले ,जीवन संवार ले || 


ईश्वर की हर सौगात को ,रख तू संभाल के ,

उन्हीं सौगातों से तो ,जीवन तेरा मालामाल है ,

उनके लिए तू ,ईश्वर का धन्यवाद कर ,

तो मानव तू प्यार कर ले ,जीवन संवार ले || 


ये मानव जीवन ,जो मिलता है मुश्किल से ,

उसी जन्म को बिता दे तू ,मानवता की सेवा में ,

मानवता की सेवा में ,मिलेगा साथ ईश्वर का ,

तो मानव तू प्यार कर ले ,जीवन संवार ले || 


Wednesday, February 5, 2025

KAB AAOGE ? ( JALAD AA )

 

                             कब आओगे  ?


बदरा तुम कब आओगे ,पवन के संग - संग ?

दामिनी को कब चमकाओगे ,अपने संग - संग ? 

बरखा को कब मिलवाओगे ,हमरे आँगन ,हमरे आँगन ?? 


तुम तो हो बदरा दोस्त हमारे ,आ जाओ अपने दोस्तों संग ,

हम भी धरा के दोस्तों संग ,बुला लेते हैं अपने संग ,

हमारे पास है बगिया अपनी ,वहीं पे महफिल होगी संगीत संग  || 


उस महफिल में ओ -बदरा ,तितलियाँ रंग बिखराएँगी ,

फूलों के रंगों के संग ,पंछी भी गीत सुनाएँगे ,

तेरी दामिनी की चमकन ,और कड़कन के संग -संग || 


अब बताओ जल्दी  से ,कब मिलेगी तुमको फुरसत ,

और बोलो कब आओगे ,कब आओगे ?? 


Tuesday, February 4, 2025

IISH HII ( AADHYAATMIK )

 

                         ईश ही 


करके किसी की मदद ,बनो किसी की खुशी का कारण ,

परेशानी दूर कर किसी की ,लाओ उसके होठों पर मुस्कान ,

यही तो आराधना है ईश की || 


आशा और विश्वास ,हमारा जीवन संवारते हैं ,

मगर हम आशा किस से करते हैं ?

और विश्वास हम किस पर करते हैं ? 

यह ही हमारे लिए है महत्त्व पूर्ण || 


सब कुछ जग में हमारा है ,पराया नहीं ,

मगर जब भरोसा टूटा तो ,रिश्ता पराया ,

और जब साँसें टूटीं तो ,शरीर पराया ,

अपना तो है ,सिर्फ ईश ही || 

 

DHARAA PE ( RATNAAKAR )

 

                          धरा पे 


सारे जहां में फैला सागर ,जल का अतुल भंडार ,

फिर भी मीठा जल ना मिलता ,पीने को भई जीने को ,

वैसे जीवन उपजा सागर में ,वहीं से आया धरा पे  || 

 

 आज है दुनिया बदली ,धरा पे जीवन फैला ,

सागर में भी जीवन फैला ,दोनों ही अलग - अलग ,

मगर जीवन तो जीवन है ,चाहे हो सागर में ,चाहे धरा पे || 


बदलाव हमेशा आता है ,धरा पे मानव आया ,

उसने जलवायु को बदला ,खूब प्रदूषण फैलाया ,

अब तो बंधु ,मुश्किल हो गया ,जीवित रहना धरा पे || 


मानव  ने अपने लिए ,सुविधाएँ जुटाईं ,

मगर प्रकृति को बिगड़ाया ,प्रकृति ने भी मानव को ,

भरमाया   और बदला लेने के लिए ,

जाल बिछाकर मानव को पकड़ा धरा पे || 


Sunday, February 2, 2025

HEY SHAARDE MAA ( AADHYAATMIK )

 

                        हे  शारदे  माँ 


हे शारदे माँ , हे शारदे माँ ,

मुझ को तू शब्दों का , भंडार दे माँ   || 


ज्ञान की देवी , थोड़ा  सा ज्ञान ,

हम को  भी दे के , हमें तार दे माँ  || 


लेखनी मेरी , चलती ही जाए ,

ऐसा ही कुछ तो ,चमत्कार दे माँ  || 


हमारा ये शीश , झुके ना कहीं और  ,

तेरा ही आशीष ,मिल जाए हम को  ,

उसी से भरा ये , संसार दे माँ  || 


हे शारदे माँ , हे शारदे माँ  ,

हम को तू अपना , गहन प्यार दे माँ  || 


SUKHAD AHSAAS ( KSHANIKAA )

 

                             सुखद अहसास 


बन जाने पर ,संबंधों की दरार कभी भरती नहीं ,

राहों के सभी काँटे ,कभी हटते ही नहीं ,

बस कोशिशें ,अपनी जारी रखो दोस्तों || 


नदिया की दिशा ,कोई बदल नहीं सकता ,

समंदर के पानी को ,कोई मीठा नहीं कर सकता ,

बस कोशिशें ,अपनी जारी  रखो दोस्तों || 


जीवन की साँसें और ,जीवन का समय निश्चित है ,

यह सब हमें ,आशीष के रूप में मिला है ,

इसी आशीष को,अपनाने की कोशिश,जारी रखो दोस्तों || 


जिंदगी एक सुंदर और पवित्र नेमत है ,

इस जग में जिंदगी को बिताना ,सुखद अहसास है ,

इस अहसास को ,महसूस करते रहो दोस्तों ||