Sunday, February 9, 2025

NEED ( KSHANIKAA )

 

                                       नीड़

 

जग में आते ही मिलते हैं , माता - पिता ,

कुछ नाते -रिश्ते भी मिलते हैं ,बोनस में ,

दादा -दादी ,नाना -नानी भी मिलते हैं ,

बाकि सब कुछ को मिलते हैं ,कुछ को नहीं || 

 

कुछ वर्षों बाद ,दोस्तों का साथ मिलता है ,

खेलों का स्वाद तब मिलता है ,

गुरु -जन आते हैं जीवन में ,जो ज्ञान हमें देते हैं ,

कुछ ऐसे भी मिल जाते हैं , जो जग  का चलन सिखाते हैं || 


समय बीतता जाता है ,परिवार भी बढ़ जाता है ,

धीरे -धीरे फिर साथ भी ,छूटने लगता है ,

बुजुर्गों का हाथ छूटता है जब ,संसार सुना लगने लगता है तब || 

 

लेते हैं विदाई माता -पिता ,कुछ रिश्ते भी खत्म हो जाते हैं ,

धीरे - धीरे कुछ दोस्त गए ,आती  है बारी अपनी भी ,

जग तो है ऐसी रेलगाड़ी ,सवार होते  रहते सभी ,

फिर धीरे - धीरे ,एक -एक कर ,उतरते रहते सभी || 

 

तो क्या मोह ? क्या माया ? क्यों किसी से दिल लगाया ?

इस संसार में जो नीड़ था बसाया ,

एक दिन ऊपर वाले ने उसको खाली कराया || 

 

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