धरा पे
सारे जहां में फैला सागर ,जल का अतुल भंडार ,
फिर भी मीठा जल ना मिलता ,पीने को भई जीने को ,
वैसे जीवन उपजा सागर में ,वहीं से आया धरा पे ||
आज है दुनिया बदली ,धरा पे जीवन फैला ,
सागर में भी जीवन फैला ,दोनों ही अलग - अलग ,
मगर जीवन तो जीवन है ,चाहे हो सागर में ,चाहे धरा पे ||
बदलाव हमेशा आता है ,धरा पे मानव आया ,
उसने जलवायु को बदला ,खूब प्रदूषण फैलाया ,
अब तो बंधु ,मुश्किल हो गया ,जीवित रहना धरा पे ||
मानव ने अपने लिए ,सुविधाएँ जुटाईं ,
मगर प्रकृति को बिगड़ाया ,प्रकृति ने भी मानव को ,
भरमाया और बदला लेने के लिए ,
जाल बिछाकर मानव को पकड़ा धरा पे ||
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