Tuesday, February 4, 2025

IISH HII ( AADHYAATMIK )

 

                         ईश ही 


करके किसी की मदद ,बनो किसी की खुशी का कारण ,

परेशानी दूर कर किसी की ,लाओ उसके होठों पर मुस्कान ,

यही तो आराधना है ईश की || 


आशा और विश्वास ,हमारा जीवन संवारते हैं ,

मगर हम आशा किस से करते हैं ?

और विश्वास हम किस पर करते हैं ? 

यह ही हमारे लिए है महत्त्व पूर्ण || 


सब कुछ जग में हमारा है ,पराया नहीं ,

मगर जब भरोसा टूटा तो ,रिश्ता पराया ,

और जब साँसें टूटीं तो ,शरीर पराया ,

अपना तो है ,सिर्फ ईश ही || 

 

No comments:

Post a Comment