Thursday, February 6, 2025

SANVAAR LEY ( KSHANIKAA )

 

                           संवार ले 


देह बनी है माटी की ,साँसें मिलीं उधार की ,

किस बात का तू ,मानव करे घमंड ?

ये सारी रचना की ,उसने प्यार की ,

तो मानव तू प्यार कर ले ,जीवन संवार ले || 


जो कुछ जीवन में ,तुझे मिला ,

उसको सिर झुका कर ,तू स्वीकार कर ,

ईश्वर की उस देन को ,व्यर्थ ना गँवा तू ,

तो मानव तू प्यार कर ले ,जीवन संवार ले || 


ईश्वर की हर सौगात को ,रख तू संभाल के ,

उन्हीं सौगातों से तो ,जीवन तेरा मालामाल है ,

उनके लिए तू ,ईश्वर का धन्यवाद कर ,

तो मानव तू प्यार कर ले ,जीवन संवार ले || 


ये मानव जीवन ,जो मिलता है मुश्किल से ,

उसी जन्म को बिता दे तू ,मानवता की सेवा में ,

मानवता की सेवा में ,मिलेगा साथ ईश्वर का ,

तो मानव तू प्यार कर ले ,जीवन संवार ले || 


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