बात
बात ,बात की चली है यारों ,
बात ध्यान से सुनना तुम ,
बातों में से बात है निकली ,
इसको ध्यान से गुनना तुम ||
बात से जब निकलती है बात ,
तो दूर तक चली जाती है बात ,
तो ऐसे निकलती बात को ,
देकर ध्यान समझना तुम ||
बातों का सिलसिला जब चलता है ,
तो दिल तक बात पहुँचती है ,
तुम भी तो मेरी बातों को ,
अपने दिल तक पहुँचाना तुम ||
अपने दिल के बाहर ही यारों ,
रोकना नहीं इन बातों को तुम ,
खोलना अपने दिल के दरवाजों को ,
मेरी सारी बातें अपने दिल में पहुँचाना तुम ,
समझ गए ना यारों ||
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