वो लड़की
कहाँ है वो लड़की ,जो घूम रही थी ,
आज़ाद होकर के ,शिखर को चूम रही थी |
तेरी गलियों में आई क्या वो ?
बहारों में खिली क्या वो ?
क्या वो फूलों को चूम रही थी ?
क्या वो तितली सी घूम रही थी ?
रिमझिम फुहारों में वो बसी थी ,
सावन के झूलों में वो फँसी थी ,
सावन के झूलों में तो वो झूल रही थी |
पतझड़ ने उसको रोका ,उसको था पुकारा ,
आज़ादी ने हाथ खींचा ,आगे को बढ़ाया ,
सावन की रिमझिम हरियाली ,
तो उसको खींच रही थी |
अपनी हिम्मत से वो बढ़ी थी ,
अपने साहस से वो चढ़ी थी ,
हारी ना वो कभी भी ,
अपनी मुस्कानों में वो खड़ी थी |