आएँगे
ये है दोस्तों की महफिल , खिलखिलाहटों की महफिल ,
कहकहों की नदिया में तैरती , मुस्कानों को समेटती ,
हमारी अपनी कश्ती , जिसमें पतवार थी दोस्ती की ,
जो नफरत की मँझधार से , कश्ती को थी बचाती ||
आ जाओ तुम सभी दोस्तों , बैठो मेरी कश्ती में ,
मुस्कुराहटें बिखरेंगी , गीत सजेंगे , कहकहे लगेंगे ,
तभी तो जीवन सुंदर बनेगा , जग मुस्कुराहटों से महकेगा ||
समय को वापस लौटा सको तो,दोस्तों को साथ ला सको तो ,
कहकहों का सहारा लो , आवाजों को ऊँचा करो ,
बार - बार पुकारोगे तो , सभी दोस्त आएँगे ,दोस्त आएँगे ||
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