ब्रह्मांड
बनाया ब्रह्मा जी ने ब्रह्मांड , अनगिनत गोले उसमें छोड़े ,
शक्ति से भरे हुए गोले , दूर जा - जाकर वो घूमे ,
केंद्र बन गए वो सब गोले , चारों तरफ और भी गोले घूमे ,
आग के गोले थे ये सब , शक्ति के पुंज थे ये गोले ||
और कुछ - कुछ गोले आए , इनके चारों तरफ घूमे ,
इन्हीं गोलों में से कुछ पर , सृजन हार ने जीवन उपजाया ,
हमारी धरा है एक वही गोला , जिस पर हम - तुम हैं बंधु ||
मानव - मस्तिष्क में ज्ञान भरा , जिससे जुटाईं सुविधा मानव ने ,
धरा के चारों ओर घूमते , चाँद पे मानव पहुँच गया ,
धरा चक्कर जिस सूर्य का , लगा रही उसको जान गया ,
कदम - दर - कदम मानव बढ़ता जा रहा ,
ब्रह्मांड के कुछ राज जान गया ,
ब्रह्मांड में हस्तक्षेप भी किया , ब्रह्मांड में गूँजता नाद भी सुना ,
क्या ब्रह्मांड की सारी , शक्ति को जान पाएगा मानव ??
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