Friday, September 19, 2025

BRAHMAAND ( KSHANIKAA )

 

                         ब्रह्मांड 

 

बनाया ब्रह्मा जी ने ब्रह्मांड , अनगिनत गोले उसमें छोड़े ,

शक्ति  से भरे  हुए गोले , दूर जा - जाकर वो घूमे ,

केंद्र बन गए वो सब गोले , चारों तरफ और भी गोले घूमे ,

आग के गोले थे ये सब , शक्ति के पुंज थे ये गोले   || 

 

और कुछ - कुछ गोले आए , इनके चारों तरफ घूमे ,

 इन्हीं गोलों में  से कुछ पर  , सृजन हार ने जीवन उपजाया ,

हमारी धरा है एक वही गोला , जिस पर हम - तुम हैं बंधु  || 

 

मानव - मस्तिष्क में ज्ञान भरा , जिससे  जुटाईं सुविधा मानव ने  ,

धरा के चारों ओर घूमते , चाँद पे मानव पहुँच गया ,

धरा चक्कर जिस सूर्य  का  , लगा रही उसको जान गया  ,

कदम - दर - कदम मानव बढ़ता जा रहा , 

ब्रह्मांड के कुछ राज जान गया ,

ब्रह्मांड में हस्तक्षेप भी किया , ब्रह्मांड में गूँजता नाद भी सुना  ,

क्या ब्रह्मांड की सारी , शक्ति को जान पाएगा मानव   ?? 

 

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