साँसें
हमारे बोलों पे लगा कर ताले ,
चाबी किसी ने चुरा ली यारों ,
अब क्या बोलें हम यारों ?
कर सको अगर तुम कोशिश ,
दिखा सको गर कोई रास्ता हमको ?तो दिखा दो यारों ||
बोल तो हमारे दब गए यारों ,
पिंजरे में कैद होकर के ,
उन दूजों की चिल्लाहट में ,
और हमारी चुप्पी में ,
समय तो चलता जाता है यारों , अपनी रवानगी में ||
समय के साथ ही जिंदगी भी ,
बहती जाती है यारों ,
जो समय हमें मिला है जीने के लिए ,
वह तो चलेगा ही यारों ,
उसी के साथ - साथ हमारी , साँसें भी चलेंगी यारों ||
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