Tuesday, September 2, 2025

NAJAARAA SAAVAN KAA ( JALAD AA )

 

                               नजारा  सावन  का 

 

सावन का महीना , रिमझिम - रिमझिम बरखा आई ,

पवन अपने संग , बदरा को उड़ाकर लाई  ,

घन - घन करते बदरा के बीच , दामिनी की चमकार आई ,

घनघोर ,मूसलाधार बरखा से , राहों में नदिया बह आई   || 

 

बचपन के पैर बढ़े , दौड़े  पहुँचे उस धारा में ,

बनीं कश्तियाँ कागज की , खूब ही बच्चों ने तैराईं  ,

गगना में उड़ते बदरा ने , जब यह नजारा देखा ,

तो खुशी से उसने बरखा की , गति और बढ़ाई   || 

 

बदरा की खुशी में गगना ने भी , अपने अँगना में खुशी मनाई ,

दामिनी की कड़क यूँ सुनाई दी , मानो बज उठी हो शहनाई ,

ये सावन का नजारा है भई , सावन का नजारा है भई   || 

 

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