Thursday, September 4, 2025

CHAMAK ( CHANDRAMAA )

 

                             चमक 

 

आ री चंदनिया नीचे उतर कर , छिप जा मेरे आँचल में ,

मेरा आँचल छिपा तो लेगा तुझे , 

पर तेरी चमक तो छनकर बाहर आएगी , 

चमक देगी सारे जग को , भेद को खोल ही जाएगी   || 

 

चंदनिया तू तो चाँद की है प्यारी , चमक है तेरी न्यारी  ,

आ जा उतर आ नीचे , रहेंगे मिल के हम साथ - साथ ,

तू मुस्कानें बिखरा कर , चमकाना सारे जग को  || 

 

गगन से उतरती जब नीचे , धरा भी तो मुस्का जाती ,

मानो पूरी धरा भी , चाँदी सी चमक में नहा जाती ,

तभी तो धरा भी तेरे , समान ही चमक पा जाती    || 

 

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