Sunday, November 21, 2021

AANGAN (JALAD AA )

आँगन 

बदरा का आईना है सागर, चेहरा अपना देखता,
बदरा का आँगन है आसमां, हर घड़ी उसमें डोलता।

खेलें आँख- मिचौली छोटे- बड़े बदरा,
आँगन में दौड़ते और शोर मचाते,
दामिनी भी उनके साथ खेलती, शोर मचाती,
उसके शोर से तो सबका दिल दहलता।

रिमझिम मेघ बरसते, हरियाली फैलाते,
धरती हरी चूनर को ओढ़े, मंद-मंद मुस्काती,
कोयल, पपीहा रिमझिम में, मस्त हो गीत सुनाते,
ऐसे में हम भी मग्न हो, गीत बहुत लिख जाते,
लिखते जाते और गुनगुनाते जाते।

No comments:

Post a Comment