माया नगरी
बीत चला है अपना जीवन, माया की इस नगरी में,
लहराता है घना समंदर, माया की इस नगरी में,
बदरा घन-घन खूब बरसते,माया की इस नगरी में,
सभी जन दिन-रात खूब सरसते, माया की इस नगरी में,
हर दिन कुछ-कुछ त्योहार हैं सजते, माया की इस नगरी में,
आओ हम भी ताल मिला लें,माया की इस नगरी में।
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