परछाईं
कहावत सुनते आए, दीया तले अंधेरा,
काली रात के बाद सवेरा।
सच है दोस्तों,जुड़े हैं इसी तरह,
जीवन के साथ मृत्यु, दिन के बाद रात।
दीया है प्रकाश, उस के नीचे आएगी,
दीए के नीचे आएगी, उसी की परछाईं ।
उजाले के साथ अंधेरे जुड़े हैं,
हमलोग भी तो, इन्हीं सब से जुड़े हैं।
परछाईं सभी की होती है,
बिना परछाईं कुछ नहीं,हम नहीं, तुम नहीं।
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