Sunday, November 21, 2021

SHABDON KA GHERA

शब्दों का घेरा

 कलम हमारी चलती जाए, बात ये मेरे दिल की बताए,
शब्द ये खुद ही गढ़ लेती, मुस्का के सबको ही बताती,
कलम भी खुश और हम भी खुश, शब्दों के इस घेरे में ।

कलम की स्याही शब्द बताती, जिव्हा उसकी लिखती जाती,
शब्द जो पन्ने पर उभरे तो, हाल हमारे दिल का बताती,
स्याही, जिव्हा दोनों खुश हैं, शब्दों के इस घेरे में ।

पन्ने पर जो उभरे शब्द, कविता का वो लेते रूप,
लय आती जाती है उनमें, गीत का वो ले लेते रूप,
दिल हमारा गुनगुनाता है,शब्दों के इस घेरे में ।

No comments:

Post a Comment