खतों वाली दुनिया
ये है संदेसों की दुनिया ,
दिल के गुबारों की दुनिया,
पहले तो खत घूमते थे इस में,
अपनों का दामन चूमते थे इस में,
आज तो एस एम एस, भेजती है ये दुनिया ।
वो खुश्बु भरे खत, आज भी याद हमको,
प्यार में डूबे वो खत, आज भी याद आते,
आज तो ई-मेल, भेजती है ये दुनिया ।
कलम से गढ़े शब्दों में, प्यार था तब झलकता,
अक्षरों की बनावट में,लिखने वाला ही दिखता,
मगर आज तो मोबाइल से संदेस,
भेजती है ये दुनिया ।
लौटा दो फिर वही, खतों का जमाना,
लौटा दो फिर प्यार और आशीर्वाद,
लिखने वालों का जमाना,
मेरे सामने कोई एस एम एस ना लाओ,
मेरे सामने से ई-मेल हटाओ,
मोबाइल को तुम कहीं छिपा आओ,
हमें तो चाहिए वही खतों वाली दुनिया ।
No comments:
Post a Comment