सहेली मेरी
सुन री पवन , आ जा मेरे अँगना में ,
मेरे गुलमोहर के , पात हिला दे पवन ,
मैं भी तो खो जाऊँ , उन्हीं में पवन ,
घोंसले परिंदों के , बन जाएँ उस तरु पर ||
तू तो पवन , पूरा जग घूमती है ,
अब बता तू , जग कैसा है पवन ?
मुझसे ज्यादा क्या ?
कोई तुझको प्यार करता है ??
बन जा सहेली मेरी ,और मुझे अपना बना ,
ले चल मुझे उड़ा कर , नीले गगना में ,
मिला दे बदरा से , चाँद से ,
और सबसे अधिक , मेरे सपनों से ,
मेरे हौसले , मेरी हिम्मत से ||
हम दोनों मिलकर , पूरा जग देखेंगे ,
मुस्कानें बाँटेंगे , पूरे जग में ,
साथ ही हम भी मुस्काएँगे , खिलखिलाएँगे ||