भाग्यशाली
सच की राह पकड़ लो बंधु , छोड़ो झूठी गपशप ,
बरखा के पानी में में बच्चों संग , तुम भी कर लो छप - छप ||
बचपन सीधा - सादा ,सच्चा , मुस्कानों से भरा हुआ ,
खेल अनोखे बचपन के , सुंदर खेलों से जुड़ा हुआ ,
उन्हीं को फिर से तुम अपना लो , करते जाओ ठक - ठक ||
बचपन में पहुँचे तुम फिर से , पा जाओगे मुस्कानें ,
वही दोस्त , वही गलियाँ , वही समय पुराना ,
वही कहकहे , वही खिलखिलाहटें , गूँजती आँगन में ||
माता - पिता का प्यार - दुलार , बहन - भाई का साथ ,
वो सपनों की दुनिया , नींद में और जागते हुए भी ,
दिखाई देते थे , वही जीवन फिर जी पाओ ,
तो बहुत ही भाग्यशाली हो तुम दोस्त ||
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