मकड़ी का जाला
मत सोचो किसने तुम्हें , क्या है दिया ?
प्यार दिया है या तुम्हें , नफरत से मारा ?
अँधियारी रात दी है , या किरनों का सवेरा दिया ?
हर कोई अपनी सोच से ही ,
किसी से संबंध बनाता है ,
अच्छा या बुरा , सच्चा या झूठा ||
तुम भी अपनी सोच से , राह चुन लो दोस्तों ,
राह और साथी , दोनों ही सोच - समझ कर चुनो ,
यदि सही चुने तो जीवन , सुंदर बन जाएगा ,
नहीं तो जीवन , मकड़ी का जाला बन जाएगा ||
मकड़ी के जाले से , कोई भी बच नहीं पाता है ,
वह उसी में फँस कर रह जाता है ,
मकड़ी का जाला तो , भूल - भुलैंया है दोस्तों ||
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