Friday, October 31, 2025

SAHELII MERII ( PAWAN )

 

                         सहेली मेरी 

 

सुन री  पवन , आ जा मेरे अँगना में ,

मेरे गुलमोहर के , पात हिला दे पवन ,

मैं भी तो खो जाऊँ  , उन्हीं में  पवन  ,

घोंसले परिंदों के , बन जाएँ उस तरु पर  || 

 

तू तो पवन  , पूरा जग घूमती है  ,

अब बता तू  , जग कैसा है पवन  ?

मुझसे ज्यादा क्या   ?

कोई तुझको प्यार करता है  ??

 

बन जा सहेली मेरी ,और मुझे अपना बना  ,

ले चल मुझे उड़ा कर , नीले गगना में  ,

मिला दे बदरा से , चाँद से  ,

और सबसे अधिक , मेरे सपनों से   ,

मेरे हौसले ,  मेरी हिम्मत से    || 

 

हम दोनों मिलकर , पूरा जग देखेंगे  ,

मुस्कानें बाँटेंगे  , पूरे  जग  में  ,

साथ ही हम भी मुस्काएँगे  , खिलखिलाएँगे   || 

 

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