कान्हा
तुम्हें पुकारूँ तो क्या , तुम आओगे यहाँ कान्हा ?
साथ में अपने राधा जी को , भी लाओगे कान्हा ?
मुरली की धुन भी , क्या सुनाओगे तुम कान्हा ?
हमारा जन्म तुम सफल ,सच में बनाओगे क्या कान्हा ?
जीवन हमारा बीता जा रहा है , इस दुनिया में कान्हा ,
तुम्हारा साथ मिलना , बहुत जरूरी है कान्हा ,
तभी तो जीवन सुंदर ,बन जाएगा हमारा कान्हा ,
तुम भर दो अपनी , मुरली की मधुरता कान्हा ,
हमारे शब्दों में , हमारे विचारों में , हमारे जीवन में कान्हा ||
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