Thursday, October 2, 2025

JAL - VIHEEN ( JALAD AA )

 

                          जल - विहीन 

 

बदरा तुम जल लेकर आए , बरखा भेजी धरा पर तुमने ,

कभी - कभी रिमझिम बूँदें , कभी मूसलाधार ,

गर्मी से तप्त धरा ने पाई ठंडक , और मानव ने भी ,

और कभी धरा हुई जल - थल ,

और रुकी मानव जीवन की रफ्तार   || 

 

जल की कमी को तुम ही बदरा , कर देते हो पूरी ,

मानव ही कर देता है , पूरी को अधूरी ,

तुम तो बदरा देकर जल को , हरियाली बरसाते  ,

तभी तो मानव अपने खेतों में , सब कुछ हैं उपजाते  || 

 

साथ दामिनी भी कड़क - कड़क कर , मानव को डराती  ,

मगर मानव  को तो  बदरा , समझ नहीं है आती  ,

मानव जल संग्रहित करेगा , तभी तो पूरा पाएगा ,

नहीं तो मानव का जीवन ,

जल - विहीन  हो जाएगा , जल - विहीन हो जाएगा  ||  

 

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