Wednesday, October 15, 2025

BHOLEY - BHANDAARII ( AADHYAATMIK )

 

                              भोले - भंडारी 

 

एक नेत्र में है चंद्रमा , दूसरे में है प्रकाश ,

तीसरा नेत्र जो खुले , हो त्रिलोक का विनाश  ,

मेरे भोले - भंडारी तो , बैठे हैं कैलाश   || 

 

कभी तो आओ भोले - बाबा , गौरा को ले साथ ,

भक्त तुम्हारी राह तकें , दे दो आशीर्वाद  ,

भारत भूमि पर रहने वालों को , दे दो दर्शन आज   || 

 

हर कोई ना जा सके , दर्शन करने को शिखरों पर  ,

तुम्हें ही आना पड़ेगा भोले , भक्तों की पुकार पर  ,

आ जाओगे तुम जो नीचे  , होगा भक्तों का उद्धार   || 

 

क्यों डेरा जमाया तुमने भोले , ऊँचे , बर्फीले पर्वत पर  ,

नीचे उपवन में आन बसो , जो पा  लें हम  तेरे दर्शन  ,

तभी तो हमारी जीवन नैया , लग जाएगी पार   || 

 

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