भोले - भंडारी
एक नेत्र में है चंद्रमा , दूसरे में है प्रकाश ,
तीसरा नेत्र जो खुले , हो त्रिलोक का विनाश ,
मेरे भोले - भंडारी तो , बैठे हैं कैलाश ||
कभी तो आओ भोले - बाबा , गौरा को ले साथ ,
भक्त तुम्हारी राह तकें , दे दो आशीर्वाद ,
भारत भूमि पर रहने वालों को , दे दो दर्शन आज ||
हर कोई ना जा सके , दर्शन करने को शिखरों पर ,
तुम्हें ही आना पड़ेगा भोले , भक्तों की पुकार पर ,
आ जाओगे तुम जो नीचे , होगा भक्तों का उद्धार ||
क्यों डेरा जमाया तुमने भोले , ऊँचे , बर्फीले पर्वत पर ,
नीचे उपवन में आन बसो , जो पा लें हम तेरे दर्शन ,
तभी तो हमारी जीवन नैया , लग जाएगी पार ||
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