अगला जन्म
राम तुम तो अवध के राजा ,जो सबके आदर्श ,
प्रजा पालक तो तुम बन गए , ना बने पुत्र पालक ,
प्रजा तो जय - जयकार , करती रही तुम्हारी ||
मैं तो ना हूँ राम , तुम्हारी सीता जैसी ,
ना मैं शबरी , ना मैं अहिल्या , ना ही प्रजा तुम्हारी ,
मैं हूँ आज की नारी , तुम्हारे युग के बहुत बाद की ||
मानती हूँ गुणों की , खान हो तुम ,
एक आदर्श पुरुष और , देश - भक्त राजा हो ,
मगर उस अवस्था में पत्नी को ,
त्याग देना क्या उचित था ?
तुम्हारी सोच और मेरी सोच , बिल्कुल अलग हैं ,
सही गलत का विचार , करना तुम ,
अगला जन्म जब लोगे तुम , तो सोच बदल लेना ,
सीता जैसी पत्नी तो तुम्हें , शायद ही मिले ,
जो तुम्हारी हर जायज और नाजायज , आज्ञा का पालन करे ||
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