चमकेगा
चमकेगा चंदा गगन में , चंदनिया फैलेगी हर ओर ,
मुस्कान चंदा की तो बंधु , फैलाएगी चंदनिया धरा पर ,
धरा तो नहा जाएगी , चंदनिया की चमक में ,
तुम भी पकड़ो और , ओढ़ लो चंदनिया की ओढ़नी ||
चंदा तो बंधु , दोस्त है हमारा जन्म से ,
रिश्ता तब जुड़ा था चंदा से , मामा का ,
मगर अब तो हम बने हैं , सच्चे दोस्त बंधु ||
वो चमकता है गगन में , हम रहते हैं धरा पर ,
दूर से ही सही बंधु , देख सकते हैं एक दूजे को ,
मुस्कानें चमकती रहेंगी दोनों की , दूर से ही सही ,
दोनों दोस्तों का प्यार तो , फैलता रहेगा पूरे जग में ||
No comments:
Post a Comment