Saturday, November 29, 2025

SHYAAMLII ( AADHYAATMIK )

 

                          श्यामली 

 

श्याम तेरी श्यामली ने , पुकारा है तुझे  ,

आजा तू यहाँ अपनी  , बंसरी बजाते - बजाते  ,

मैं भी डूब जाऊँ तेरी  , बंसरी की धुन में   || 

 

कभी मैं मिल ना पाई हूँ , श्याम तुझसे  ,

ना कभी सामने से बंसरी , सुन पाऊँ तुझको  ,

आज तो मेरी इच्छा को पूरी  ,  तू कर दे   || 

 

तेरे वृंदावन , गोकुल तो , मैं आ ना पाऊँ  ,

बरसाने में , मधुबन में भी  , ना पहुँच पाऊँ  ,

तू ही श्याम अपनी राधा  , और बंसरी संग आजा ना  ,

अपनी श्यामला को  , अपनी  राधा से मिलवा दे ना   || 

 

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