श्यामली
श्याम तेरी श्यामली ने , पुकारा है तुझे ,
आजा तू यहाँ अपनी , बंसरी बजाते - बजाते ,
मैं भी डूब जाऊँ तेरी , बंसरी की धुन में ||
कभी मैं मिल ना पाई हूँ , श्याम तुझसे ,
ना कभी सामने से बंसरी , सुन पाऊँ तुझको ,
आज तो मेरी इच्छा को पूरी , तू कर दे ||
तेरे वृंदावन , गोकुल तो , मैं आ ना पाऊँ ,
बरसाने में , मधुबन में भी , ना पहुँच पाऊँ ,
तू ही श्याम अपनी राधा , और बंसरी संग आजा ना ,
अपनी श्यामला को , अपनी राधा से मिलवा दे ना ||
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