Wednesday, November 12, 2025

DOSHII KAUN ? ( KSHANIKAA )

 

                             दोषी कौन  ?

 

सूरज ने धरा पर  , जो बिखराया सोना  ,

वो सिमट कर  तेरे रूप में  , ढल गया साथी  ,

जिंदगी मेरी तो सोने सी बन गई  ,

हर पल मुस्कान से ही भर गया   || 

 

सूरज ने बिखराई , जो ऊर्जा धरा पर , 

प्रकृति भर गई उसी ऊर्जा से  ,

उसी प्रकृति ने आँचल , भर दिया मानव का  ,

मानव को जीवन में , सभी  उपहार मिले   || 

 

मानव ने किया अपव्यय  , उपहारों का हर पल  ,

धरा का उपहारों का  , खजाना खाली होने लगा  ,

मानव नहीं चेता और  , खजाना खाली हो गया  ,

प्रकृति बिगड़ उठी  , मानव को सजा देने लगी   || 

 

कहीं बाढ़ आई  , कहीं बादल फटे  ,

कहीं ग्लेशियर पिघले  , कहीं पहाड़ टूटे  ,

मानव ने दोष दिए  , प्रकृति को  ,

क्या तुम बता सकते हो दोस्तों   ?

दोषी है कौन  ?  दोषी है कौन   ?? 

 

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