मन - वचन
मत कर बुरे कर्म तू बंदे , सुंदर कर्म कर ले ,
दूजे का बुरा नहीं करके , अच्छों से आँचल भर ले ,
रचनाकार भी तो देख रहा है , तेरे सारे कर्मों को ,
वही तो उनको तोल रहा है , जो कुछ तू करता है ||
उनके अनुसार ही वह फल भी देगा , जो तू करता है ,
रचनाकार ने जीवन दिया तुझे बंदे ,उसी ने कर्म बनाए ,
उन्हीं कर्मों को तू करता जा , जो तेरे लिए बनाए ||
भविष्य तेरा निर्भर करेगा , तेरे ही कर्मों पर ,
रचनाकार भी तो खुश होगा , जब तू अच्छे कर्म करेगा ,
उसी के बनाए सुंदर नियमों पर , तू मन - वचन से चलेगा ||
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