रिश्ते
रिश्ते नहीं एक तरफा होते , दोनों ओर से होते हैं ,
भक्त को भगवान की चाहत होती है जैसे ,
भगवान को भी तो भक्त चाहिए वैसे ,
दोनों ही तो एक - दूजे के पूरक हैं ||
लेखनी को अपने लिए जरूरत है कागज की ,
कागज अकेला रह कर क्या करेगा ? लेखनी से अलग ,
कागज और लेखनी का साथ तो जन्मों का है ,
दोनों ही तो एक - दूजे के पूरक हैं ||
कुछ ऐसा ही रिश्ता ,
शब्दों और भावों का , गीतों से है ,
शब्द जब भावों में पिरोए जाते हैं ,
तो गीत जन्म लेते हैं ,
बिना शब्द और भावों के ,
गीत कैसे बनेंगे दोस्तों ?
तो दोस्तों ! रिश्तों की तो सभी को बहुत जरूरत है ||
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