प्रगति
इंसान गलतियों का पुतला है ,
कदम - कदम पर गलतियाँ करता ही रहता है ,
एक गलती को फिर से ना दोहराना ही ,
बदलाव की ओर एक कदम है ||
अपनी गलती को समझ गया जो ,
और उसे सुधारने की कोशिश करता है ,
वह ही अपनी संस्कृति को समझता है ||
जो अपनी गलतियों से सीख लेता है ,
और जीवन में उस सीख का उपयोग करता है ,
तो उसे तुम भी समझ लो दोस्तों ,
वही इंसान तो प्रगति करता है ,
वही तो प्रगति की राह पर चल पड़ा है ||
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