Thursday, December 4, 2025

BANAA DE RATNAAKAR ( RATNAAKAR )

 

                     बना दे रत्नाकर 

 

डुबकी मारी सागर में  , मिला ना मोती एक  ,

जबकि सागर में तो  , रत्न भरे अनेक  || 

 

सागर खारा ही सही  , रत्नाकर है वो  ,

उसको ही रत्न मिलेंगे  , डुबकी लगाए जो   || 

 

सागर तेरे द्वार पर  , खड़े हैं तेरे मित्र  ,

जो करते रहते हैं  , सदा ही तेरा जिक्र   || 

 

सागर द्वार खोल तू  , अंदर आने दे हमको   ,

हम वही मित्र हैं तेरे  , प्यार तू करता जिनको   || 

 

ना मैं मछली , ना मैं लहर हूँ , तेरी सागर  ,

जो तैर - तैर कर ,  आ जाऊँ तेरे पास मैं सागर  ,

अपने अंदर के कुछ रत्नों को देकर   ,

बना दे मुझको भी रत्नाकर  , अपने जैसा  , अपने जैसा  ही  ||  

 

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