बना दे रत्नाकर
डुबकी मारी सागर में , मिला ना मोती एक ,
जबकि सागर में तो , रत्न भरे अनेक ||
सागर खारा ही सही , रत्नाकर है वो ,
उसको ही रत्न मिलेंगे , डुबकी लगाए जो ||
सागर तेरे द्वार पर , खड़े हैं तेरे मित्र ,
जो करते रहते हैं , सदा ही तेरा जिक्र ||
सागर द्वार खोल तू , अंदर आने दे हमको ,
हम वही मित्र हैं तेरे , प्यार तू करता जिनको ||
ना मैं मछली , ना मैं लहर हूँ , तेरी सागर ,
जो तैर - तैर कर , आ जाऊँ तेरे पास मैं सागर ,
अपने अंदर के कुछ रत्नों को देकर ,
बना दे मुझको भी रत्नाकर , अपने जैसा , अपने जैसा ही ||
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