उद्धार
बदरा जो छाए गगन में , चाँद का पर्दा बन गया ,
बदरा के आँचल को , चाँद ने अपना घूँघट बना लिया ,
धरा ने बदरा के पार , चाँद का चेहरा नहीं देखा ,
धरा ने तो दामिनी की , रोशनी को देख लिया ||
बदरा ने जो भेजी बरखा , तो उस जल से तृप्त हो गयी ,
प्यास धरा की जो बुझी , नदिया , सागर भर गए ,
नदिया जब उछली , दौड़ी , सागर की लहरें भी मचलीं ,
दामिनी ने हर वादे को , पूरी तरह निभा दिया ||
हरियाली छाई धरा पर , धरा का शृंगार हो गया ,
खिल उठे फूलों के चमन ,
बाग - बगीचों का उद्धार हो गया ,
जग सारा महक उठा , जग सारा महक उठा ||
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