Saturday, December 6, 2025

UDDHAAR ( JALAD AA )

 

                        उद्धार  

 

बदरा जो छाए गगन में , चाँद का पर्दा बन गया  ,

बदरा के आँचल को , चाँद ने अपना घूँघट बना लिया  ,

धरा ने बदरा के पार  , चाँद का चेहरा नहीं देखा ,

धरा ने तो दामिनी की  , रोशनी को देख लिया  || 

 

बदरा ने जो भेजी बरखा  , तो उस जल से तृप्त हो गयी  ,

प्यास धरा की जो बुझी , नदिया , सागर भर गए  ,

नदिया जब उछली , दौड़ी , सागर की लहरें भी मचलीं  ,

दामिनी ने हर वादे को  , पूरी तरह निभा दिया  || 

 

हरियाली छाई धरा पर , धरा का शृंगार हो गया  ,

खिल उठे फूलों के चमन ,

बाग - बगीचों का उद्धार हो गया  ,

जग सारा महक उठा  , जग सारा महक उठा   || 

 

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