Monday, December 15, 2025

JHAR - JHAR ( KSHANIKAA )

 

                          झर - झर 

 

झर - झर  झरना बहता जाए  ,

 कल - कल , कल - कल गीत सुनाए  ,

ठंडा , मीठा जल दे जाए  ,

धरती की ये प्यास बुझाए  ,

नदिया , सागर को भर जाए   || 

 

जल से जग सारा जीवन पाए  ,

जगवासी जल के गुण गाएँ  ,

मगर ना वो जल को बचाएँ  ,

तो दोस्तों  ! जल को स्वच्छ रखो  ,

और जल को सुरक्षित कर लो   || 

 

अपनी समझ को काम में लाओ  ,

वर्षा  - जल को करो इकठ्ठा  ,

रखो स्वच्छ तुम जल को दोस्तों  ,

और जल को बचाओ  , जल को बचाओ  ,

ना व्यर्थ बहाओ  , जल को बचाओ दोस्तों   ||  

 

No comments:

Post a Comment