मोह - माया
ईश्वर का संदेसा आया , छोड़ दे मानव जग की माया ,
मुझमें अपना ध्यान लगा , छोड़ दे सारी मोह और माया ||
मत डूब जगत के सागर में , भर ले नदिया का जल गागर में ,
सागर का जल तो खारा है , प्यासा ही रह जाएगा सागर में ||
ईश्वर की बात मान कर , छोड़ दो तुम सारी माया ,
जीवन को प्रकृति के साथ चला लो , बन ईश्वर का साया ||
तभी जीवन भर , सुख पाओगे तुम सभी ,
और हर दिन , खिलखिलाओगे सभी ||
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