Thursday, December 18, 2025

MOH - MAYA ( AADHYAATMIK )

 

                             मोह  - माया 

 

ईश्वर का संदेसा आया  , छोड़ दे मानव जग की माया  ,

मुझमें अपना ध्यान लगा  , छोड़ दे सारी मोह और माया   || 

 

मत डूब जगत के सागर में  , भर ले नदिया का जल गागर में  ,

सागर का जल तो खारा है  , प्यासा ही रह जाएगा सागर में   || 

 

ईश्वर की बात मान कर  , छोड़ दो तुम सारी माया  ,

जीवन को प्रकृति के साथ चला लो  , बन ईश्वर का साया   || 

 

तभी जीवन भर  , सुख पाओगे तुम सभी  ,

और हर दिन  ,  खिलखिलाओगे  सभी   || 

 

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